घोघड़, चम्बा 26 दिसम्बर : IGMC शिमला में डॉ व मरीज के बीच हुई मारपीट के बाद चिकित्सक संघ ने आज 26 दिसम्बर 2025 को सामान्य OPD (बाह्य रोगी जांच विभाग) बंद रखने का निर्णय लिया था। चिकित्सक संघ के आह्वान पर भरमौर क्षेत्र के अस्पतालों में भी चिकित्सकों ने आज अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों की जांच सामान्य ओपीडी में नहीं की।

कुछ चिकित्सक आपात चिकित्सा वार्ड में मरीजों की जांच करते दिखे। X-Ray विभाग में सामान्य दिनों की तरह ही लोगों के X-Ray किए गए। एक्सरे करवाने वाले मरीजों की संख्या करीब 12 रही। उधर आपात चिकित्सा वार्ड में भी करीब 18 लोगों का उपचार किया गया।
चूंकि इस घटना से क्षेत्र के लोगों को पहले से ही पता था इसलिए अस्पताल में सामान्य चिकित्सीय परामर्श के लिए पहुंचने वाले मरीजों की संख्या लगभग न के बराबर ही रही । कई मरीज पुरानी पर्ची लेकर दवाई की दुकानों से दवाई ले जाते दिखे।

इस बारे में कुछ चिकित्सकों से भी बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि चिकित्सक संघ के आह्वान पर ओपीडी में कार्य न करने का निर्णय लिया गया है। डॉ बंसल ने बताया कि मामला चिकित्सक मरीज के रूप में न देखकर इसे सामान्य मानव व्यवहार के रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं नहीं होनी चाहिए परंतु एक चिकित्सक पर लोगों द्वारा हमला किए जाने पर डॉक्टर को अपनी सुरक्षा तो करनी ही पड़ेगी। डॉ बंसल ने भरमौर अस्पताल में एक सप्ताह पूर्व ही पदभार सम्भाला है परंतु एक प्रश्न के उत्तर में उनका सब्र और विवेक की झलक मिली ।
घोघड़ ने उन से पूछा था कि अगर ऐसी परिस्थिति उनके समक्ष उत्पन्न होती तो वे क्या करते ? इसके उत्तर में डॉ बंसल ने कहा कि वे विवाद की नौबत आने ही नहीं देते।

बहरहाल भरमौर में चिकित्सकों के पैन डाउन का कोई खास असर नहीं दिखा। स्थानीय लोगों ने इस मुद्दे पर कहा कि चिकित्सकों द्वारा मरीजों को डांटने, बदसलूकी की घटनाएं अब आम होने लगी हैं। और विडम्बना देखिए कि वे हर हाल में स्वयं को सच्चे साबित करने के लिए एक जुट होकर सरकार पर दबाव भी बनाते हैं। क्षेत्र के युवा वर्ग का कहना है कि अगर मौके की वीडियो सामने न आता तो मरीज को दोषी ठहराकर कई धाराएं लगाकर मुकद्दमा दर्ज करवा दिया गया होता।
लोगों का कहना है कि यह मामला केवल एक अस्पताल का नहीं बल्कि कई अस्पतालों में मरीज व तीमारदार चिकित्सकों डांट डपट इसलिए सुनकर चुप रहते हैं कि विरोध करने पर सरकार भी चिकित्सकों को ही सच्चा मानेगी ऐसे में वे चुपचाप अपने आत्मसम्मान को आघात पहुंचाकर लौट आते हैं।
इस घटना के बाद सरकार चिकित्सकों व मरीजों के बीच बढ़ती इस तलखी को किस प्रकार रोक पाती है, यह भविष्य में अस्पतालों में शांति स्थापित करने की दिशा में बड़ा कदम साबित हो सकता है।
