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घोघड़, चम्बा, 18 दिसम्बर : बर्फबारी से प्रभावित होने वाले हिप्र के जनजातीय क्षेत्रों में राशन कार्ड धारकों को खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा नवम्बर से मार्च माह तक अग्रिम राशन कोटा दिया जाता है। क्योंकि हिमपात के कारण सड़कों व रास्तों पर बर्फ व पानी जम जाता है और लोगों तक राशन पहुंचाना मुश्किल हो जाता है।

जनजातीय क्षेत्र भरमौर में भी राशन शीतकालीन अग्रिम कोटे के तहत उपभोक्ताओं को जारी किया जाता है। हर वर्ष नवम्बर माह से यह कोटा राशन डिपुओं पर पहुंच जाता रहा है और उपभोक्ता वहां से अपना राशन निर्धारित दरों पर खरीद लेते हैं। इस वर्ष भी उपभोक्ता राशन का अग्रिम कोटा लेने डिपुओं पर पहुंच रहे हैं परंतु उन्हें पूरा राशन नहीं मिल रहा है।

भरमौर मुख्यालय के उपभोक्ताओं का कहना है कि डिपुओं पर आटा व तेल तो मिल रहा है परंतु चीनी, दालें व चावल नहीं मिल रहे हैं।  उपभोक्ता बचा हुआ राशन लेने के लिए बार-बार डिपुओं के चक्कर काट रहे हैं।

भरमौर मुख्यालय के डिपो धारकों का कहना है कि जो सामान उनके पास पहुंच रहा है वे उसे उसी समय उपभोक्ताओं को जारी कर दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि आटा व तेल डिपो पर लगातार उपलब्ध है जबकि चावल व दालों की खेप रुक-रुक कर पहुंच रही है जिस कारण उपभोक्ता पूरा राशन एक साथ न मिलने की खीझ डिपो धारकों पर उतार रहे हैं।

उपभोक्ताओं का कहना है कि अग्रिम कोटे का राशन उठाने के लिए वे कुली, घोड़े-खच्चर लेकर डिपो पर पहुंच रहे हैं तो वहां से उन्हें आधा-अधूरा राशन मिल रहा है जिस कारण उन्हें घोड़े-खच्चरों व कुलियों को उनका खर्च देकर खाली लौटाना पड़ रहा है। उपभोक्ताओं का कहना है कि अगर अभी हिमपात हो जाए तो उपभोक्ता तो दूर, विभाग राशन को डिपो तक भी न पहुंचा पाएगा और लोगों को बाजार मूल्य पर गांव की दुकानों से राशन खरीदना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि विभाग को नवम्बर माह में ही सारा राशन डिपुओं में पहुंचा दिया जाना चाहिए था।

गौरतलब है कि इस समय भरमौर उपमंडल में 68 डिपुओं से लगभग 10,399 राशन कार्डों के माध्यम से करीब 38,859 आधार लिंकड उपभोक्ताओं को सरकार द्वारा राशन उपलब्ध करवाया जा रहा है।

इस बारे में खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग निरीक्षक मनोज कुमार ने कहा कि भरमौर क्षेत्र के गोदामों से राशन डिपुओं तक पहुंचाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज गोदाम में चावल की केप पहुंच गई है। उन्होंने बताया कि पीछे से ही सप्लाई में रुकावट होने के कारण यह समस्या उत्पन्न हुई है। बहरहाल राशन सप्लाई पहुंचते ही डिपुओं को भेजी जा रही है।

अब देखना यह है कि सरकार इस जनजातीय क्षेत्र में लोगों को हिमपात से पूर्व पूरा राशन उपलब्ध करवा पाती है या नहीं। यहां यह बताना भी आवश्यक है कि सरकार द्वारा राशन के डिपो खोलने के बाद इस उपमंडल के लोगों ने खेतों में आनाज उगाने के स्थान पर बागवानी को प्राथमिकता दी है और भोजन के लिए राशन के डिपुओं पर निर्भर हो गए हैं।


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