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घोघड़,चम्बा 26 नवम्बर : राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला भरमौर में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के अंतर्गत 24 से 26 नवम्बर की अवधि में आत्मरक्षा प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया। विद्यालय की कक्षा 06 से जमा दो तक की छात्राओं ने इस शिविर में आत्मरक्षा की तकनीकों का अभ्यास किया। हिप्र पुलिस थाना भरमौर द्वारा छात्राओं को यह प्रशिक्षण प्रदान किया गया।

संस्थान की प्रधानाचार्य अंजू बाला ने बताया कि इस प्रशिक्षण से  छात्राओं में आत्मविश्वास झलक रहा है। उन्होंने कहा कि विद्यालय में केवल पाठ्यक्रम में शामिल किताबी शिक्षा के अतिरिक्त उनके सर्वांगीण विकास पर ध्यान दिया जा रहा है। जिसके लिए विद्यालय में सांस्कृतिक, खेल-कूद, क्विज, भाषण प्रतियोगिताएं व आत्मरक्षा अभ्यास जैसे क्रियाकलाप करवाए जाते हैं।

प्रधानाचार्य ने बताया कि इन कार्यक्रमों का मुख्य लक्ष्य छात्राओं में आत्मविश्वास बढ़ाना, विपरीत परिस्थितियों में खुद को सुरक्षित रखने की क्षमता विकसित करना तथा महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों की रोकथाम को प्रोत्साहित करना है।

प्रशिक्षण के दौरान विशेषज्ञ प्रशिक्षकों द्वारा छात्राओं को बुनियादी शारीरिक आत्मरक्षा तकनीकें, जैसे कि ग्रैब रिलीज़, ब्लॉकिंग, घुटना और कोहनी से बचाव प्रहार, फॉल-ब्रेकिंग और नज़दीकी हमले से सुरक्षा के तरीकों की जानकारी दी गई। इसके साथ ही कराटे, ताइक्वांडो और जूडो जैसी मार्शल आर्ट्स आधारित तकनीकों की आधारभूत ट्रेनिंग भी प्रदान की गई ताकि छात्राएं शारीरिक रूप से अधिक सक्षम बन सकें।

कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा स्थितिजन्य जागरूकता (Situational Awareness) है, जिसमें छात्राओं को खतरे को पहचानने, सुरक्षित रास्तों का चयन करने, भीड़भाड़ वाली जगहों में सतर्क रहने और संदिग्ध गतिविधियों को पहचानने के तरीके सिखाए गए। इसके अलावा उन्हें वर्बल सेल्फ-डिफेंस के अंतर्गत ज़ोर से ‘ना’ कहना, मदद मांगना और बिना शारीरिक टकराव के स्थिति को नियंत्रित करने की तकनीकें भी सिखाई हैं।

तकनीक के बढ़ते उपयोग को देखते हुए प्रशिक्षण में मोबाइल हेल्पलाइन और सुरक्षा ऐप्स जैसे 112, 1091, 1098, हिमाचल का हिम सुरक्षा, हिम्मत आदि ऐप्स के उपयोग की जानकारी भी शामिल की जाती है। छात्राओं को लोकेशन शेयरिंग, एसओएस फीचर और आपातकालीन स्थिति में त्वरित सहायता प्राप्त करने के तरीकों की भी ट्रेनिंग दी जाती है।

प्रशिक्षक मुख्य आरक्षी दलीप कुमार ने बताया कि आत्मरक्षा वर्गों में मानसिक मजबूती को भी बराबर महत्व दिया जा रहा है। छात्राओं को भय प्रबंधन, तनाव नियंत्रण, तथा आत्मविश्वास बढ़ाने वाली गतिविधियों के माध्यम से चुनौतीपूर्ण स्थितियों में शांत रहकर निर्णय लेने की कला सिखाई गई है।
वास्तविक परिस्थितियों पर आधारित प्रैक्टिकल ड्रिल्स भी करवाई गई हैं, जिनमें सड़क, गली, बस या एकांत स्थानों में संभावित खतरों से बचाव के तरीके अभ्यास करवाए गए हैं।

शिक्षा विभाग एवं पुलिस विभाग इस अभियान के माध्यम से जिला भर में छात्राओं को अधिक सुरक्षित, सक्षम और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। द्वारा संयुक्त रूप से संचालित इस पहल को क्षेत्र में अभिभावकों तथा विद्यालय प्रबंधन द्वारा सराहना मिल रही है। कार्यक्रम का उद्देश्य छात्राओं को न केवल शारीरिक रूप से सक्षम बनाना है बल्कि उनमें स्वयं की सुरक्षा के प्रति जागरूकता व आत्मविश्वास पैदा करना भी है।


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