Ghoghad.com

घोघड़, भरमौर, 04 अगस्त :  दूरी, कंधे पर कांवड़ उठाकर पैदल चलकर चौरासी मंदिर स्थित शिवलिंग पर अर्पित किया गंगाजल। आज सावन का अंतिम सोमवार भरमौर क्षेत्र के लोगों के लिए ऐतिहासिक बन गया । इस शिवभूमि में पहली बार कोई श्रद्धालु कांवड़ में गंगाजल भर कर लाया।

जैसा कि सोशल मीडिया के माध्यम से विदित था कि जम्मू-कश्मीर के दो युवक हरिद्वार से कांवड़ लेकर भरमौर की ओर जा रहे हैं तो उसके बाद से क्षेत्र में उनके स्वागत की तैयारियां आरम्भ हो गईं। लोगों ने भरमौर मार्ग के विभिन्न स्थलों पर उनका स्वागत करना आरम्भ कर दिया। चुवाड़ी, चम्बा, मैहला, गैहरा, ढकोग, लाहल, इत्यादि पड़ावों के बाद कांवड़ यात्रा आज अपने निर्धारित स्थल चौरासी मंदिर में पहुंच गई ।

भरमौर मुख्यालय में हजारों लोगों ने इन कांवड़ियों का स्वागत किया। पंडितों द्वारा मंत्रोच्चारण, व श्रद्धालुओं के शिवघोष के बीच लवली व रजत नामक युवा कांवड़ियों ने शिवलिंग पर गंगाजल अर्पित कर महादेव का अभिषेक किया। क्षेत्र में पहली बार कांवड़ यात्रा पहुंचने पर लोगों ने इसे श्रद्धा व श्रेष्ठता की पहल बताया।

पंडित सुमन शर्मा,सुरिंद्र शर्मा, अनीष शर्मा, भुवनेश शर्मा, लक्ष्मण दत्त, पूर्व प्रधान शिव चरण कपूर, वरिष्ठ नागरिक रविंद्र सिंह, गौतम, नानकू राम युवा वर्ग में सन्नी गनी, अक्षय कुमार इत्यादि ने कहा कि यह पहला अवसर है कि भरमौर से करीब 600 किमी दूर हरिद्वार से कांवड़ भरकर गंगाजल से चौरासी स्थित शिवलिंग का अभिषेक किया गया हो। उन्होंने कहा कि यह अनूठी पहल है इसका अनुकरण किया जाना चाहिए। धर्म के लिए किया जाने वाला हर कार्य महत्वपूर्ण है।

इस दौरान जम्मू कश्मीर की बणी तहसील के रोरका व भंडार गांव के निवासी रजत व लवली ने कहा कि वे अक्सर हरिद्वार से कांवड़ यात्रा करते हुए श्रद्धालुओं के देखते आएं हैं। इसके महत्व को जानने के लिए उन्होंने कांवड़ियों पूरी जानकारी ली और इसके पूरे विधि विधान को अपनाते हुए मणिमहेश भूमि भरमौर स्थित शिवलिंग का अभिषेक करने का निर्णय लिया। लवली व रजत बताते हैं कि भरमौर को वे भगवान शिव का निवास स्थल मानते हैं। उनके राज्य जम्मू कश्मीर के विभिन्न स्थलों को इसी आशय में मणिमहेश यात्रा भी की जाती है।

उन्होंने कहा कि इस यात्रा के दौरान उन्हें कभी भी कहीं किसी प्रकार की असुविधा का सामना नहीं करना पड़ा। मार्ग में रात्रि ठहराव व भोजन को लेकर कभी सोचने का अवसर तक नहीं मिला, जहां कदम रुक जाते शिव भक्त वहीं आराम व भोजन की व्यवस्था कर देते थे और इसी प्रकार 600 किमी का रास्ता कब समाप्त हो गया, पता नहीं चला।

गौरतलब है कि इस कांवड़ यात्रा के लिए रजत व लवली गंगाजल भरी कांवड़ उठाकर 24 दिन लगातार करीब 600 किमी पैदल चले हैं । इस कांवड़ यात्रा के बाद लोगों का विश्वास है कि इससे प्रेरित होकर अन्य शिव भक्त भी यहां कांवड़ ला सकते हैं। यह धार्मिक, व आस्था की मजबूती के लिए अहम कदम होगा।


Ghoghad.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page