चम्बा 19 जुलाई : पिछली दो मणिमहेश यात्राओं के दौरान लोगों के लिए समस्या बना प्रंघाला पुल इस बार फिर से चर्चा में आ गया है। यह पुल सम्भावित भूस्खलन के खतरे के कारण चर्चा में है।
करीब दस माह पूर्व ही बने इस बैली ब्रिज की नींव के नीचे से जमीन खिसकने लगी है व इसके ऊपरी भाग से भी चट्टाने गिरना आरम्भ हो गयी हैं। लोनिवि ने पुल को स्थिर बनाए रखने के लिए इसके एक छोर की नींव को कंकरीट की दीवार लगाकर सुरक्षा देने का कार्य भी आरम्भ किया है लेकिन नाले का तेज बहाव लगातार इसकी नींव को काटता जा रहा है जिससे पुल के पूर्वी छोर के धंसने की सम्भावना उत्पन्न हो गई है।
पुल पर मंडराते खतरे के स्थाई समाधान की मांग को लेकर व्यापार मंडल भरमौर,चौरासी रिवायवल कमेटी,टैक्सी चालक युनियन सहित कई संगठनों ने अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी के माध्यम से एक मांगपत्र अतिरक्त जिलादंडाधिकारी भरमौर के माध्यम से मुख्यमंत्री हिप्र को भेजा है। चौरासी रिवायवल कमेटी भरमौर के प्रधान मोहर सिंह राजपूत, युवक मंडल पंजसेई के प्रधान अनिल ठाकुर ने कहा कि दो वर्ष पूर्व मणिमहेश यात्रा के दौरान भरमौर हड़सर के बीच प्रंघाला नाला के ऊपर बना पुल नाले के तेज बहाव में बह गया था। जिसके एक वर्ष बाद अर्थात गत वर्ष इस नाले पर मणिमहेश यात्रा के अंतिम चरण में बैली ब्रिज बनाया गया है। करीब दस माह पूर्व बने इस पुल का पूर्वी छोर धंसने लगा है व पुल के ऊपरी भाग से भी इस पर चट्टाने गिरने लगी हैं। जिससे पुल के फिर टूटने की सम्भावना बनी हुई है।
- उन्होंने कहा कि पुल के निर्माण से पूर्व भरमौर के प्रशासनिक अधिकारियों व लोनिवि के अधिशासी एवं सहायक अभियंता से लोगों ने मांग की थी कि पुल को मौजूदा स्थिति से कुछ मीटर पीछे की ओर पक्की चट्टानों पर स्थापित किया जाए लेकिन विभागीय इंजिनीयरों ने जबरन इसी स्थान पर पुल को स्थापित कर दिया । जिस कारण पुल के निर्माण के समय भी इस पर भारी चट्टानें आ गिरी थीं व पुल के पूर्वी छोर को क्षतिग्रस्त कर दिया था। लोनिवि ने अगर मजबूत चट्टान पर नींव बनाई होती तो आज नींंव को पक्का करने पर लाखों रुपये अतिरिक्त न खर्च करने पड़ते।
अभी पुल को बने एक वर्ष भी पूरा नहीं हुआ पुल की नींव का क्षरण होना आरम्भ हो गया है। वहीं उपरी पहाड़ी से भी भूस्खलन के कारण भारी चट्टाने खिसक रही हैं। अधिवक्ता अभिषेक शर्मा बताते हैं कि पुल को अगर क्षति पहुंचती है यह लोनिवि के इजिनियरों की लापरवाही साबित होगी क्योंकि उन्होंने पुल के लिए गलत स्थान का चयन किया था। ऐसे में लोगों की जान को जोखिम डालने, सरकारी धन का दुरुपयोग करने सहित कई मामलों में उनके विरुद्ध कार्यवाही हो सकती है।
प्रतिनिधिमंडल ने प्रशासन से मांग की है कि मणिमहेश यात्रा से पूर्व पुल के पास एक वैकल्पिक सड़क भी तैयार की जाए ताकि पुल पर बढ़ते सम्भावित खतरे के समय उस सड़क का उपयोग किया जा सके। गौरतलब है कि दो वर्ष इस स्थान पर मणिमहेश यात्रियों व स्थानीय लोगों को भारी समस्या का सामना करना पड़ा था।
इस संदर्भ में अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी भरमौर नरेंदर चौहान ने कहा पुल को सुरक्षित करने के लिए इसके पूर्वी छोर की नींव को कंकरीट की दीवार लगाकर सुरक्षित बनाया जा रहा है। वहीं ऊपरी भाग से गिर रही चट्टानों को रोकने के लिए भी कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विषम परिस्थितियों से निपटने के लिए प्रशासन तैयार है लेकिन बड़ी प्राकृतिक आपदा पर किसीका वश नहीं है।