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घोघड़,शिमला, 30 सितम्बर 2025 : किशोर श्रमिकों के अधिकारों की सुरक्षा और बंधुआ मजदूरी की रोकथाम को लेकर मंगलवार को उपायुक्त शिमला अनुपम कश्यप की अध्यक्षता में जिला स्तरीय सतर्कता समिति की बैठक आयोजित हुई। बैठक में बंधुआ मजदूरी की स्थिति की समीक्षा की गई और इसके बचाव व पुनर्वास संबंधी मुद्दों पर विस्तृत चर्चा हुई।

उपायुक्त ने बताया कि बाल एवं किशोर श्रम (निषेध एवं विनियमन) अधिनियम, 1986 के तहत 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों से काम कराना पूरी तरह प्रतिबंधित है। वहीं 14 से 18 वर्ष आयु वर्ग के किशोरों को केवल सुरक्षित कार्यों में अधिकतम 5 घंटे तक ही काम करने की अनुमति है। उन्होंने कहा कि नियोक्ताओं के लिए किशोर श्रमिकों का वेतन सीधे उनके बैंक खाते में जमा करना अनिवार्य है, नकद भुगतान कानून का उल्लंघन माना जाएगा। इसके साथ ही न्यूनतम वेतन और सभी बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराना भी जरूरी है।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अधिनियम की धारा 9(ए) के अनुसार किसी भी किशोर श्रमिक को नियोजित करने से पहले नियोक्ता को श्रम अधिकारी को सूचित करना आवश्यक है। उपायुक्त ने अधिकारियों को जिला में कार्यरत किशोर श्रमिकों का सटीक डाटा एकत्र करने, नियमित समीक्षा करने और विभिन्न स्थलों पर औचक निरीक्षण करने के निर्देश दिए। खासतौर पर सड़क निर्माण कार्यों में लगे श्रमिकों की वास्तविक स्थिति की जांच करने पर जोर दिया गया।

बैठक में पुनर्वास कोष की प्रगति की भी समीक्षा हुई और बंधुआ मजदूरी से मुक्त श्रमिकों के पुनर्वास में आने वाली चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया गया। उपायुक्त ने समिति के सदस्यों से श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा और उनके पुनर्वास में सक्रिय भूमिका निभाने की अपील की।

बैठक में अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी (कानून एवं व्यवस्था) पंकज शर्मा, जिला श्रम अधिकारी सतीश कौशल सहित समिति के अन्य सदस्य भी उपस्थित रहे।


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