घोघड़, चम्बा 03 नवम्बर : भारत सरकार वर्ष 2030 तक देश को “Rabies-Free” बनाने के दृष्टिगत हिमाचल प्रदेश इस दिशा में तेजी से काम कर रहा है, शहरी क्षेत्रों शिमला, धर्मशाला, मंडी, चम्बा,सोलन के साथ-साथ जनजातीय क्षेत्र भरमौर में भी कुत्तों का एंटी रेबीज टीकाकरण किया जा रहा है।
पशुपालन विभाग का दल भरमौर मुख्यालय में पालतु कुत्तों के साथ-साथ आवारा कुत्तों के टीकाकरण में जुटा हुआ है। वैटरनरी फार्मासिस्ट सिकंदर की अगुआई में पशुपालन विभाग की टीम सदस्य रवि व अशोक कुमार ने मलकौता, सचूईं, भरमौर गांवों में पालतु कुत्तों का टीकीकरण किया जबकि पट्टी, चौरासी मंदिर परिसर, पुराना बस अड्डी भरमौर के आसपास आवारा कुत्तों को एंटी रेबीज इंजैक्शन लगाए गए । फार्मासिस्ट सिकंदर ने कहा कि दो दिन में 15 पालतु कुत्तों व 47 आवारा कुत्तों का टीकाकरण किया गया है।
उन्होंने कहा कि रेबीज़ एक वायरल संक्रमण है जो मुख्यतः संक्रमित जानवर के काटने या खरोंचने से मनुष्यों या अन्य जानवरों में फैलता है। यह वायरस दिमाग और तंत्रिका तंत्र पर हमला करता है और इलाज न मिलने पर लगभग 100% मौत का कारण बनता है।

उन्होंने लोगों को सावधान करते हुए कहा कि भारत में रेबीज़ के अधिकांश मामले (90% से अधिक) संक्रमित कुत्तों के काटने से होते हैं। इसलिए कुत्तों से सावधान रहना आवश्यक है। पशुपालन विभाग घरेलू व आवारा कुत्तों दोनों को टीका लगाने का अभियान चला रहा है।
उन्होंने कहा कि एंटी रेबीज़ टीकाकरण का उद्देश्य कुत्तों में वायरस के प्रसार को रोकना,मनुष्यों में संक्रमण की संभावना को न्यूनतम करना व “वन हेल्थ मिशन” के तहत पशु और मानव दोनों की स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करना।
हिमाचल प्रदेश में यह अभियान पशुपालन विभाग और नगर परिषदों/पंचायतों की देखरेख में होता है। विश्व रेबीज़ दिवस (28 सितम्बर) के आसपास विशेष जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं। घरों के पालतू कुत्तों के साथ-साथ आवारा कुत्तों को भी यह टीका लगाया जाता है।
कुत्तों को हर वर्ष एक बार एंटी रेबीज़ टीका लगाया जाता है। कुछ जगहों पर नसबंदी) और टीकाकरण एक साथ किया जाता है ताकि आवारा कुत्तों की संख्या भी नियंत्रित हो।
सिकंदर ने कहा कि कुत्ता पालने वाले क्षेत्र के सभी लोगों को अपने कुत्ते की वैक्सीनेशन करवाना आवश्यक है इसलिए वे अपने नजदीकी पशुपालन स्वास्थ्य केंद्र में सम्पर्क करें।

