घोघड़, चम्बा 12 अक्तूबर : आज भेड़ पालन व्यवसाय इतना कठिन व जोखिम भरा हो चुका है कि नई पीढ़ी इसे अपनाने के बारे में सोच भी नहीं रही। कम होता चारागाहों का स्थान, मांस व ऊन का उचित मूल्य न मिलना, चोरों व हिंसक जानवरों का खतरा, वन विभाग कर्मचारियों द्वारा भेड़ पालकों का उत्पीड़न आदि समस्याओं के कारण एक समय में एशिया का सबसे समृद्ध भेड़ पालन व्यवसाय आज ढलान पर है।
आज के समय में भेड़ पालकों के लिए चोरों से अपने पशुधन को बचाने की चुनौति मुंहबाए खड़ी है। वे कब किस रेवड़ से भेड़ बकरियां चुराकर ले जाएं कहा नहीं जा सकता । गत दिवस चम्बा जिला के गैहरा में भी ऐसे मामले सामने आए हैं। यहां भेड़ पालक की आठ भेड़ें गुम हो गई थीं। जिन्हें स्थानीय लोगों ने एक ओट में छुपाई गई स्थिति में पाया था । भेड़ पालक द्वारा पूछताछ किए जाने पर उसे उन भेड़ों के बारे में जानकारी दी गई ।
गैहरा के छो गांव के सुरेश कुमार ने कहा कि दुनाली गैहरा के बीच चोंडूरू नामक स्थान पर एनएच 154 ए से कुछ ऊपर दो कंदराएं बनी हुई हैं जिनके मुहाने को पत्थरों से बंद किया गया है। इसका पता उस समय लगा जब गत दिवस सचूईं गांव के एक भेड़ पालक ने दो बकरी के बच्चे गुम होने के बारें में पूछताछ की। भेडपालक की मदद के लिए सुरेश कुमार भी व कुछ अन्य लोग भी उसके साथ भेड़ पालक द्वारा मेमनों के गुम होने के स्थान की ओर गए तो वहां भूमि से मेमनों के मिमियाने की आवाजें आ रही थी । ध्यान से अवलोकन करने पर पाया कि वहां पत्थरों से एक कंदरा के मुहाने को ढका गया था जिसमें दो मेमने मौजूद थे। भेड़ पालक ने इन्हें पहचान लिया व सुरेश कुमार व अन्य ग्रामीणों का सहायता के लिए धन्यवाद किया।
सुरेश कुमार ने कहा कि इसी कंदरा के पास एक और बड़ी कंदरा है जिसमें आठ से दस भेड़-बकरियों को रखा जा सकता है। उन्होंने अंदेशा जताया कि हो सकता है चोर इन्हीं कंदराओं में भेड पालकों के पशुधन को चुराकर रखते हों । क्योंकि यह कंदराएं रिहायशी क्षेत्र से दूर पेड़ों के झुरमुट में छिपे स्थान पर हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस व प्रशासन को भेड़ पालकों के पशुधन की रक्षा करने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए । क्योकि भेड़-बकरी पालन का व्यवसाय बहुत जोखिम भरा हो गया है। उन्होंने भेड़ पालकों से भी आग्रह किया कि वे धण(भेड़-बकरियां) को चराते समय आसपास ऐसी कंदराओं की सम्भावना पर नजर रखें व अन्य भेडपालकों को भी अवगत करवाते रहें।
मलकौता के भेड़पालक यशपाल सिंह व नेक राम बताते हैं अपने पशुधन की चोरी के बारे में भेड़पालक पुलिस में शिकायत करने से अक्सर बचते हैं क्योंकि पुलिस पूछताछ के लिए बारबार उन्हें बुलाती रहती है जबकि उनके पास अपने धण की रखवाली करने के लिए अन्य लोग नहीं होते इसलिए वे पुलिस की पूछताछ को समय नहीं दे पाते। इसलिए वे अपने नुकसान के कड़वे घूंट को पीकर भगवान की मर्जी पर छोड़कर आगे बढ़ जाते हैं। अगर पुलिस उनके डेरे (पड़ाव) पर पहुंच कर सहायता करे तो भेड़ पालकों को बहुत राहत मिल सकती है।